एक आभारपूर्ण विदाई: नर्सिंग में मेरे 34 वर्षों की यात्रा – अंगूरी दीक्षित

एक आभारपूर्ण विदाई: नर्सिंग में मेरे 34 वर्षों की यात्रा – अंगूरी दीक्षित

एक आभारपूर्ण विदाई: नर्सिंग में मेरे 34 वर्षों की यात्रा – अंगूरी दीक्षित

इस भावनात्मक और प्रेरणादायक विदाई भाषण में, अंगूरी दीक्षित, वरिष्ठ नर्सिंग अधिकारी, जी.टी.बी. अस्पताल, दिल्ली, अपने 34.4 वर्षों के निःस्वार्थ सेवा के अनुभव को साझा करती हैं। यह यात्रा विशेष रूप से नवजात गहन चिकित्सा इकाई (NICU) और छात्र-स्टाफ नर्सों के हॉस्टल की कार्यवाहक वार्डन के रूप में उनके योगदान से भरी रही।

यह भाषण न केवल उनके समर्पण की गवाही है, बल्कि उनके सहकर्मियों, वरिष्ठों, विद्यार्थियों और उन नन्हीं जानों के प्रति आभार का प्रतीक है, जिन्हें उन्होंने सहेजा और संजोया। यह लेख अनुभव, करुणा और प्रेरणा का सुंदर संगम है—जो आने वाली पीढ़ी की नर्सों को सच्चे हृदय से सेवा करने का संदेश देता है।


सभी सम्माननीय वरिष्ठजनों, प्रिय साथियों और सहयोगियों को मेरा दिल से नमस्कार और धन्यवाद, कि आप सभी ने आज मुझे इस विशेष दिन पर अपना स्नेह और समय दिया।”

“सबसे पहले, मैं आप सभी का दिल से धन्यवाद करती हूँ कि आपने आज यहाँ आकर इस क्षण को मेरे लिए और भी खास बना दिया। आपने मेरी सोच और समझ को एक नई गहराई दी है।

इन 34 वर्षों की सेवा के दौरान मैं जिन-जिन लोगों से मिली, उनसे कुछ न कुछ नया सीखती रही—सीखना कभी रुका नहीं। मेरे लिए यह अस्पताल सिर्फ एक कार्यस्थल नहीं था, यह मेरा दूसरा घर था। और इस घर की जो सबसे बड़ी ताकत रहीं—मेरी नर्सिंग सुपरिंटेंडेंट मैडम्स—उनका नाम लेना मेरे लिए सौभाग्य की बात है।

मैडम शकुंतला शर्मा, मैडम शीला यादव, मैडम कटारिया, मैडम वरुण, मैडम नीमा कुजुर, मैडम आर. डी. कुमार, मैडम श्रीवास्तव, मैडम बिमला सिंह—और खासतौर से आज यहां उपस्थित ममता वरुण मैडम—मेरी नज़रों में आप सभी हमेशा मेरी ‘माँ’ जैसी रही हैं। और माँ को कभी भुलाया नहीं जा सकता।

माँ जहाँ होती है, वहाँ ‘मायका’ होता है। इसीलिए जाते हुए मुझे उन पलों की बहुत याद आएगी जब मुझे माँ और मायके जैसी तसल्ली, समझ, और सहारा की ज़रूरत थी—और वो मुझे हमेशा इस संस्थान से मिला।

🩺 अनुभव, आत्मबोध और एक सुझाव (भाषण का अंश)

“मेरी पहली पोस्टिंग लेबर रूम में सी. जे. मैडम के साथ हुई थी। उस समय मैं अविवाहित थी, और शायद इसी वजह से मेरा व्यवहार उन प्रसव पीड़ित महिलाओं के प्रति थोड़ा सख्त हो जाता था, जो दर्द में चीखती थीं। उस समय मुझे ये दर्द पूरी तरह समझ नहीं आता था।

लेकिन जब मैं नर्सरी में पहुँची, तो वहां की ज़िम्मेदारी और भी बड़ी थी। वहाँ तो माता-पिता के ‘जिगर के टुकड़े’—उनके नवजात बच्चों—की देखभाल करनी होती थी। उन मासूमों के जीवन के लिए लड़ना, और उनके माता-पिता को हर हाल में तसल्ली देना, यह एक बेहद कठिन लेकिन ज़रूरी काम था।

यही कारण था कि बाद में पोस्ट-नेटल वार्ड में नर्सरी से ही नर्सों और डॉक्टरों की पोस्टिंग की जाने लगी—ताकि वहां वही संवेदनशीलता और समझ बनी रहे।

लेकिन आज भी मेरे मन में एक बात रह-रहकर आती है—कि हर क्रिटिकल यूनिट में एक नर्स और एक डॉक्टर को ‘सही जानकारी और सलाहकार’ की भूमिका में तैनात किया जाना चाहिए। जब कोई व्यक्ति बीमार होता है, तो वह शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक कष्ट से गुज़रता है। लेकिन उसके साथ आए रिश्तेदार—वो सिर्फ मानसिक नहीं, बल्कि आर्थिक, आत्मिक और पारिवारिक पीड़ा में भी होते हैं।

उन्हें सही जानकारी, दिशा और तसल्ली देने वाला कोई होना बहुत ज़रूरी है। और इसी कड़ी में मैं एक और सुझाव देना चाहती हूँ—कि अस्पताल में एक पूछताछ और सलाह केंद्र (Information & Guidance Desk) ज़रूर होना चाहिए।

क्योंकि जब लोग इधर-उधर पूछते हुए भटकते हैं, तो अक्सर मरीज के इलाज में देर हो जाती है—जो कि बहुत दुखद होता है। हमारी सेवा सिर्फ मरीज की नहीं, बल्कि उसके पूरे परिवार की ज़रूरत है।”

जहाँ भी मैंने काम किया—चाहे वो नर्सरी रही हो या नर्स हॉस्टल—मेरे दिल से कभी उस पहले ‘सत्यापन पाठ’ की भावना नहीं गई, जो हमने नर्स बनने से पहले ली थी।

ट्रेनिंग के दौरान जब पहली बार मैंने किसी मरीज़ को देखा, तो मन में सिर्फ एक बात आई—‘अगर इस जगह मेरे घर का कोई होता, तो मैं कैसा व्यवहार करती?’ और आज इतने साल बाद भी, मेरे लिए वही सोच है।

कभी-कभी जब मुझे लगा कि मेरे भीतर उस क्षण विशेष की शारीरिक या मानसिक शक्ति नहीं थी, तो मैंने खुद से ईमानदारी रखी और ड्यूटी में बदलाव करवाया। क्योंकि सेवा केवल उपस्थिति नहीं, भावना से की जाती है।”

👶 NICU टीम के लिए:

🍼 NICU की सेवा और साथियों के प्रति भावपूर्ण शब्द

NICU में काम करना मेरे लिए केवल एक नौकरी नहीं था—यह मेरे जीवन की सेवा थी, मेरा मिशन था। इन नन्हीं जानों के साथ समय बिताना, उनके जीवन के लिए हर दिन लड़ना, और उनके माता-पिता की आँखों में उम्मीद देखना—मेरे लिए इससे बड़ा सौभाग्य कुछ नहीं हो सकता।

हमने एक साथ कितनी ही रातें जागकर बिताईं, कई कठिन समय का सामना किया, लेकिन उनमें भी हमने अपने सेवा भाव और टीम वर्क की ताकत को कभी कम नहीं होने दिया। मैं गर्व से कह सकती हूँ कि मैं एक ऐसी टीम का हिस्सा रही, जो समर्पित थी, करुणा से भरी थी, और जिसने हमेशा मरीज को अपनी प्राथमिकता रखा।

मुझे खुशी है कि मेरे काम को डॉक्टरों और वरिष्ठजनों ने सराहा। डॉक्टर फ़रीदी साहब का वह निर्णय आज भी मेरे दिल के बेहद करीब है—जब 1993–94 में उन्होंने मेरा म्युचुअल ट्रांसफर रुकवा दिया। विनीता नारंग दीदी ने उस समय यहाँ जॉइन कर लिया था, लेकिन मुझे जाने नहीं दिया गया। यह मेरे प्रति उनके विश्वास और मेरे काम के प्रति उनके सम्मान का प्रतीक था।

नर्सरी और अलग अलग जगहों  में, जिन साथियों ने मेरे काम को आकार देने में मदद की, वे मेरे दिल के बहुत करीब हैं। विशेष रूप से आशा प्रिसकिला दीदी से मैं बहुत प्रभावित रही। साथ ही किरण दीदी, तुलसी दीदी, वीणा पटरस दीदी, बिमला दीदी, रोमा दीदी, शैलजा अनिल, भू लक्ष्मी, मोली, जेस्सी, रीना, पुष्पा तमांग दीदी, सुनीता शर्मा दीदी, रोज़ी चेलापति, बीना जोबाई, ANS रेखा मैडम, सूर्या, संगीता, कामिनी और कमला दीदी, शांति दीदी, सीता, मीनाक्षी नथनीयल, अंजना नथनीयल, दर्शना—और समय की कमी को देखते हुए बहुत से नाम इनमें लिखना बाकी रह गया, इन सभी साथियों से मैंने अच्छी नर्सिंग केयर सीखी।

👩‍⚕️ यूनिफॉर्म और आत्मसम्मान के लिए भावपूर्ण शब्द

“दर्शना की कही एक बात हमेशा मेरे मन में गूंजती है—उन्होंने कहा था, ‘मैंने अगर यूनिफॉर्म पहन ली, तो फिर चाहे वो मेरा कमरा हो या वार्ड, मैं खुद को पूरी तरह एक नर्स की तरह महसूस करती हूँ।’

उस दिन उनकी बात ने मुझे अंदर तक छू लिया। और तभी से मेरे मन में एक बात बस गई—हमारे पास हर दिन यूनिफॉर्म पहनने का अवसर है, और हमें उसके लिए भत्ता भी मिलता है। लेकिन सबसे ज़रूरी है कि हम अपने पेशे और अपनी यूनिफॉर्म का खुद सम्मान करें।

मैं आज पूरे गर्व से कहती हूँ—मुझे अपनी यूनिफॉर्म से इतना प्यार है, कि अगर मेरी ज़िंदगी का आखिरी पल भी इस यूनिफॉर्म को पहनते हुए आए, तो वो मेरे लिए एक सौभाग्य की बात होगी।”


मैंने हर दिन प्रयास किया कि जो कुछ सीखा है, उसे व्यवहार में लाकर बेहतर से बेहतर नर्स बन सकूँ।

आज का दिन मेरे जीवन का एक ऐसा मोड़ है जहाँ मैं एक लंबा, भावनात्मक और समर्पित सफर पीछे छोड़ रही हूँ। वर्षों की सेवा—मुख्यतः NICU में और फिर स्टूडेंट्स व स्टाफ नर्सेस हॉस्टल में वॉर्डन के रूप में बिताने के बाद—अब मैं एक नई शुरुआत की ओर बढ़ रही हूँ। लेकिन इन अनुभवों, संबंधों और यादों को अपने साथ लेकर।”

🏡 हॉस्टल और वार्डन की ज़िम्मेदारी:

स्टूडेंट्स और स्टाफ नर्सेस हॉस्टल में वार्डन के रूप में मेरा उद्देश्य सिर्फ अनुशासन बनाए रखना नहीं था—बल्कि एक सुरक्षित, सहयोगी और प्रेरणादायक वातावरण देना था। मैंने एक स्टूडेंट से एक जिम्मेदार नर्स बनते देखा है, और यह यात्रा मेरे लिए अत्यंत संतोषजनक रही है।

कभी मैं सख्त बनी, कभी एक मार्गदर्शक, तो कभी एक बड़ी बहन की भूमिका निभाई। लेकिन हर भूमिका मैंने पूरे दिल से निभाई, क्योंकि मुझे आपके भविष्य पर विश्वास था।

🙏 मेरे आदरणीय वरिष्ठ और सहयोगी साथियों के लिए:

आप सभी का आभार व्यक्त करती हूँ, जिनसे मैंने सीखा, जो हमेशा मेरे साथ खड़े रहे। आपने मुझे एक अच्छा नर्स ही नहीं, एक बेहतर इंसान भी बनने में मदद की। 

🌱 मेरे जूनियर साथियों के लिए:

आप ही हमारे पेशे का भविष्य हैं। आप में ऊर्जा है, नए विचार हैं, और बदलाव लाने की शक्ति है। मेरी बस एक सलाह है: अपनी संवेदनशीलता और करुणा कभी न खोइए। ज्ञान और कौशल जरूरी हैं, लेकिन एक सच्चे नर्स को उसकी सहानुभूति महान बनाती है।

आप जहां भी काम करें—NICU हो, जनरल वार्ड हो या हॉस्टल की ज़िम्मेदारी—अपने मूल्यों को साथ रखें।

❤️ अंत में:

“मैं यह नहीं कहूँगी कि मैं जा रही हूँ—क्योंकि मेरा मन, मेरी मेहनत और मेरी यादें इस संस्थान में हमेशा बनी रहेंगी। नर्सिंग मेरे लिए केवल एक पेशा नहीं थी—यह मेरी पहचान थी, मेरी सेवा थी, और मेरा आत्मिक संतोष।

ईश्वर ने जब हमें जीवन दिया है, तो रोटी का प्रबंध भी निश्चित ही किया होगा। नौकरियाँ तो कई होती हैं—अलग-अलग स्थानों पर, अलग-अलग रूप में—but एक नर्स होना विशेष है। अगर हम इस बात को समझ जाएँ कि हमें ‘सेवा’ जैसा बहुमूल्य अवसर मिला है, तो हम खुद को सच में आशीर्वाद का पात्र मान सकते हैं।

मैं ईश्वर का दिल से धन्यवाद करती हूँ, कि उन्होंने मुझे दो नहीं, तीन प्यारे बच्चे और एक प्यारी-सी पोती का आशीर्वाद दिया। इससे बढ़कर क्या चाहिए? मेरे लिए यही असली धन है। घर में शांति, प्रेम और संतुलन तब आता है जब हम अपने कार्य की गरिमा को समझते हैं।

एक नर्स ही वह पहला इंसान होती है, जो किसी नवजात की आँखें खुलते ही उसके पास होती है—और वही आखिरी इंसान भी होती है, जो किसी के इस दुनिया से विदा होने के समय साथ होती है। इससे बड़ा सौभाग्य क्या हो सकता है?”

मैं सबको धन्यवाद देती हूँ—आपके सहयोग, विश्वास और स्नेह के लिए।

अपने काम को हमेशा सेवा समझकर कीजिए, और बदलाव का हिस्सा बनिए।

धन्यवाद,
 

🙏 मेरी प्रेरणास्रोत सुपरिंटेंडेंट्स:

इस घर की सबसे बड़ी ताकत रहीं मेरी नर्सिंग सुपरिंटेंडेंट्स।
मैडम शकुंतला शर्मा, मैडम शीला यादव, मैडम कटारिया, मैडम वरुण, मैडम नीमा कुजुर, मैडम आर. डी. कुमार, मैडम श्रीवास्तव, मैडम बिमला सिंह, और विशेष रूप से ममता वरुण मैडम—मेरे लिए आप सभी ‘माँ’ जैसी रही हैं।

माँ जहाँ होती है, वहाँ ‘मायका’ होता है। और मुझे हमेशा इस संस्थान से वही मायके  जैसा अपनापन मिला।


🩺 अनुभव, आत्मबोध और एक ज़रूरी सुझाव:

मेरी पहली पोस्टिंग लेबर रूम में सी. जे. मैडम के साथ हुई थी। उस समय अविवाहित थी, और प्रसव पीड़ा से जूझती महिलाओं के दर्द को पूरी तरह समझ नहीं पाती थी। शायद इसी कारण मैं सख्त हो जाती थी।

फिर नर्सरी आई—जहाँ नन्हें बच्चों के जीवन की ज़िम्मेदारी थी। और वहाँ से शुरू हुआ मेरा असली आत्मबोध।
माता-पिता को तसल्ली देना, उनके आँसू पोंछना, और हर पल उनके विश्वास पर खरा उतरना—यह सब मेरे लिए सिर्फ काम नहीं, एक मिशन था।

इसी अनुभव से एक बात आज आपके सामने रखना चाहती हूँ:

हर क्रिटिकल यूनिट में एक नर्स और डॉक्टर को “सलाहकार” की भूमिका में होना चाहिए।
बीमार सिर्फ मरीज नहीं होता—उसके साथ आए लोग भी मानसिक, आत्मिक और आर्थिक संकट में होते हैं।
एक पूछताछ और सलाह केंद्र होना बहुत ज़रूरी है, ताकि भटकाव की जगह भरोसा मिल सके।


👶 NICU—और पोस्ट नेटल यूनिट- मेरा मिशन, मेरी टीम:

NICU में बिताए गए पल मेरी सबसे कीमती यादें हैं।
यहाँ मैंने सेवा को सबसे नज़दीक से जिया।
कई रातें जागीं, कई मुश्किलें आईं—पर हमारी टीम ने कभी मानवता की लौ बुझने नहीं दी।

मैं समझती हूँ, लोगों को समझाना, और तसल्ली देना हर निकु की नर्स के लिए आज भी मुश्किल काम होगा। 

डॉ. फ़रीदी साहब का वह निर्णय, जब उन्होंने मेरा ट्रांसफर रुकवाया, आज भी मेरे लिए गर्व की बात है।
आशा प्रिसकिला दीदी, वीना पतरस दीदी, किरण दीदी, और बहुत-सी साथी बहनें,  जिनके नाम समय अभाव की वजह से नहीं ले पा रही—आप सब की मधुर यादें, और सलालें  मेरे साथ हमेशा रहेंगी।


👩‍⚕️ यूनिफॉर्म—गर्व और आत्मसम्मान का प्रतीक:

एक साथी बहन ने कहा, और उसकी वो एक बात मेरे दिल में बस गई—
“मैंने अगर यूनिफॉर्म पहन ली, तो फिर चाहे मेरा कमरा हो या वार्ड, मैं पूरी तरह नर्स हूँ।”
मैं भी यही महसूस करती हूँ।

मुझे अपनी यूनिफॉर्म से इतना प्यार है कि अगर मेरी ज़िंदगी का आखिरी दिन भी इसमें बीते, तो वह मेरे लिए सौभाग्य की बात होगी।


🏡 हॉस्टल और वॉर्डन की भूमिका:

वार्डन के रूप में मैंने अनुशासन ही नहीं, विश्वास और सुरक्षा का माहौल देने की कोशिश की।
मैंने आपको स्टूडेंट से नर्स बनते देखा—और यही मेरे लिए सबसे बड़ी उपलब्धि रही।
कभी सख्त बनी, कभी दोस्त, कभी मार्गदर्शक—हर रूप में मेरा उद्देश्य था, आपका भविष्य


🌱 जूनियर साथियों के लिए:

आप हमारे पेशे का भविष्य हैं।
ज्ञान और कौशल ज़रूरी हैं, लेकिन करुणा ही नर्स को महान बनाती है।

जहाँ भी रहो—NICU, जनरल वार्ड या हॉस्टल—अपनी संवेदनशीलता को मत खोइए।


❤️ अंत में:

मैं यह नहीं कहती कि मैं जा रही हूँ, क्योंकि मेरी मेहनत, मेरी यादें और मेरी सेवा यहाँ की मिट्टी में रच-बस चुकी हैं।
नर्सिंग मेरे लिए नौकरी नहीं, पहचान थी। सेवा थी। आत्मिक संतोष था।
ईश्वर ने मुझे तीन बच्चे और एक प्यारी-सी पोती का आशीर्वाद दिया—यह मेरा असली धन है।
घर में शांति तब आती है जब हम अपने पेशे की गरिमा को समझते हैं।
और नर्स का पेशा सबसे महान है- क्योंकि वही नवजात की आँख खुलते समय भी पास होती है,  और किसी के इस दुनिया से जाते समय भी।


सभी सम्माननीय वरिष्ठजनों, प्रिय साथियों और सहयोगियों को मेरा नमस्कार।
सबसे पहले, आप सभी का दिल से धन्यवाद कि आपने आज यहाँ आकर इस क्षण को मेरे लिए और भी खास बना दिया।
आपने मेरी सोच, मेरी सेवा और मेरे सफर को एक नई गरिमा दी है।
इन 34 वर्षों की सेवा में मैंने जो पाया, वह सिर्फ अनुभव नहीं—एक जीवन दर्शन है।
हर व्यक्ति, हर मरीज़, हर सहयोगी से मैंने कुछ न कुछ सीखा।

“कुछ इस तरह सफर कट गया, जैसे कोई रिश्ता निभा गया,
ये नौकरी नहीं थी बस, ये तो ज़िंदगी का आईना बन गया।”

यह अस्पताल मेरे लिए केवल एक कार्यस्थल नहीं था—यह मेरा दूसरा घर था।

🙏 मेरी प्रेरणास्रोत सुपरिंटेंडेंट्स:
इस घर की सबसे बड़ी ताकत रहीं मेरी नर्सिंग सुपरिंटेंडेंट्स।
मैडम शकुंतला शर्मा, मैडम शीला यादव, मैडम कटारिया, मैडम वरुण, मैडम नीमा कुजुर, मैडम आर. डी. कुमार, मैडम श्रीवास्तव, मैडम बिमला सिंह, और विशेष रूप से ममता वरुण मैडम—मेरे लिए आप सभी ‘माँ’ जैसी रही हैं।

“माँ का साया जहाँ हो, वहाँ डर भी छुप जाता है,
आपने सिखाया कैसे नर्मी में भी नेतृत्व निभाया जाता है।”

माँ जहाँ होती है, वहाँ ‘मायका’ होता है। और मुझे हमेशा इस संस्थान से वही मायके जैसा अपनापन मिला।

🩺 अनुभव, आत्मबोध और एक ज़रूरी सुझाव:
मेरी पहली पोस्टिंग लेबर रूम में सी. जे. मैडम के साथ हुई थी।
तब मैं अविवाहित थी, और प्रसव पीड़ा से जूझती महिलाओं के दर्द को पूरी तरह समझ नहीं पाती थी।
शायद इसी कारण मैं सख्त हो जाती थी।
फिर नर्सरी आई—जहाँ नन्हें बच्चों के जीवन की ज़िम्मेदारी थी।
और वहीं से शुरू हुआ मेरा आत्मबोध।

“एक माँ की आँखों से जब आँसू बहते हैं,
तभी समझ में आता है कि दर्द सिर्फ शरीर में नहीं होते।”

मैं आप सबके सामने एक सुझाव रखना चाहती हूँ—
हर क्रिटिकल यूनिट में एक सलाहकार होना चाहिए, जो मरीज के साथ आए परिवार को मानसिक, आत्मिक और आर्थिक संबल दे सके।

👶 NICU—और पोस्ट नेटल यूनिट: मेरा मिशन, मेरी टीम:
NICU में बिताए गए पल मेरी सबसे कीमती यादें हैं।
यहाँ मैंने सेवा को सबसे नज़दीक से जिया।

“नींद भले छूटती रही, पर सेवा कभी रुकी नहीं,
जब भी जीवन डगमगाया, हमने उम्मीद की लौ बुझने नहीं दी।”

डॉ. फ़रीदी साहब का निर्णय, जब उन्होंने मेरा ट्रांसफर रुकवाया—वह मेरे लिए आज भी गर्व की बात है।
आशा दीदी, वीना दीदी, किरण दीदी और बाकी साथियों—आप सभी मेरी स्मृतियों का हिस्सा रहेंगे।

👩‍⚕️ यूनिफॉर्म—गर्व और आत्मसम्मान का प्रतीक:
एक साथी बहन ने कहा था—”मैंने अगर यूनिफॉर्म पहन ली, तो फिर चाहे मेरा कमरा हो या वार्ड, मैं पूरी तरह नर्स हूँ।”

“ये यूनिफॉर्म सिर्फ कपड़ा नहीं, यह सम्मान की डोरी है,
इसे पहन कर जो झुका नहीं, वही असली नर्स की कहानी है।”

🏡 हॉस्टल और वॉर्डन की भूमिका:
वार्डन के रूप में मैंने अनुशासन, विश्वास और सुरक्षा देने की पूरी कोशिश की।
मैंने आपको स्टूडेंट से प्रोफेशनल बनते देखा—और यही मेरी सबसे बड़ी उपलब्धि रही।

“कभी डांटा, कभी सिखाया, कभी माँ-सी झुकी,
वो रिश्ता ही क्या जो बस ड्यूटी तक रुकी।”

🌱 जूनियर साथियों के लिए:
आप हमारे पेशे का भविष्य हैं।
ज्ञान और कौशल ज़रूरी हैं, लेकिन करुणा ही नर्स को महान बनाती है।

“दवा सबको मिल जाती है, पर दुआ कुछ ही लोगों से,
तुम उन नर्सों में होना—जो सिर्फ इलाज नहीं, सुकून भी देती हैं।”

❤️ अंत में:
मैं यह नहीं कहती कि मैं जा रही हूँ,
क्योंकि मेरी मेहनत, मेरी यादें और मेरी सेवा यहाँ की मिट्टी में रच-बस चुकी हैं।
नर्सिंग मेरे लिए नौकरी नहीं थी—यह मेरी पहचान थी।

“रिटायर हो रही हूँ आज, पर दिल में ये बात है,
ये पेशा नहीं था सिर्फ—ये मेरी इबादत थी, मेरी जात थी।”

ईश्वर ने मुझे तीन बच्चे और एक प्यारी पोती का आशीर्वाद दिया—यह मेरा असली धन है।
घर में शांति तब आती है जब हम अपने पेशे की गरिमा को समझते हैं।
और नर्स का पेशा सबसे महान है—क्योंकि वही नवजात की आँख खुलते समय भी पास होती है, और किसी के इस दुनिया से जाते समय भी।

1.
“सालों का सफर आज थमने को है,
हर रोज़ का नियम अब बदलने को है।
रिटायर हो रही हूँ, पर दिल यही कहता है,
यादें रहेंगी, ये रिश्ता कभी न खत्म होने को है।”


2.
“हर सुबह अलार्म से पहले जाग जाती थी,
ऑफिस के हर काम में खुद को झोंक आती थी।
अब वक्त है रुकने का, कुछ सुकून पाने का,
पर दिल कहता है—यहीं कहीं फिर से मुस्कराने का।”


3.
“न जाने कितनी यादें हैं इन दीवारों में,
हर कोना एक कहानी कहता है प्यारों में।
रिटायर हो रही हूँ आज, पर दिल यही कहता है,
काम तो खत्म हुआ, पर रिश्ता नहीं टूटा है।”


4.
“जो जिम्मेदारियाँ थीं, अब थोड़ी कम होंगी,
फुर्सत की चाय, अब रोज़ गरम होंगी।
पर साथ काम करने वाले वो चेहरे,
हमेशा दिल के सबसे करीब रहेंगे।”


5.
“ना कोई शिकवा, ना कोई मलाल है,
बस एक मीठा-सा अंत, यही कमाल है।
मैं जा रही हूँ आज इस सफर को छोड़कर,
पर दिल में आपके लिए ढेरों ख़्याल हैं।”

6.
“काम की भागदौड़ में कुछ छूट गया था,
आज थम कर देखा तो बहुत कुछ साथ था।
रिटायर हो रही हूँ मुस्कराते हुए,
क्योंकि साथ आप जैसे लोग थे, ये बहुत खास था।”


7.
“एक दौर था, जब हर दिन नया लगता था,
हर काम एक ज़िम्मेदारी जैसा लगता था।
अब वक्त है अलविदा कहने का,
पर ये अलविदा सिर्फ ऑफिस को है, आप सबको नहीं।”


8.
“न कोई अफसोस, न कोई ग़िला,
जो भी मिला, बस प्यार ही मिला।
अब जब सफर को विराम दे रही हूँ,
तो साथ आपकी दुआएँ ले रही हूँ।”


9.
“आज अलमारी खाली कर रही थी,
तो देखा, हर फाइल में कुछ यादें रखी थीं।
मैं फाइलें छोड़ जाऊँगी, पर वो यादें नहीं,
जो हँसी में, चाय में, और मीटिंगों में पली-बढ़ी थीं।”


10.
“मैं चली जाऊँगी पर कुछ रह जाएगा,
मेरा नाम, मेरी बातें, कुछ कह जाएगा।
कभी कॉरीडोर में मुस्कराहट बनकर,
तो कभी मेज़ पर कोई चुटकुला बनकर।”


11.
“कागज़ों से रिश्ता अब टूट रहा है,
कलम को आराम मिल रहा है।
पर दिल कह रहा है—इस सफर का हर मोड़,
जिंदगी की किताब में सबसे खूबसूरत पन्ना बन रहा है।”


12.
“आज अलविदा है, पर उदासी नहीं है,
क्योंकि जो रिश्ता दिल से हो, उसमें दूरी नहीं है।
रिटायरमेंट बस एक पड़ाव है,
जिंदगी तो अब नए सिरे से शुरुआत की तरफ़ बढ़ाव है।”


मैं आप सभी का दिल से धन्यवाद करती हूँ।
अपने काम को सेवा समझिए, और बदलाव का हिस्सा बनिए।
धन्यवाद।

1.
कामयाबी की मिसाल थे आप,
हर दिल के आप ख्याल थे आप।
रिटायर हो रहे हैं अब आप,
फिर भी हमारे लिए बेमिसाल हैं आप।


2.
आज की यह विदाई सिर्फ एक औपचारिकता है,
क्योंकि आप तो हमेशा दिलों में रहेंगे।


3.
सालों की मेहनत, अनुभव की चमक,
आपकी जगह अब कौन भर सकेगा, ये है सबसे बड़ी झलक।


4.
बिछड़ना तो दस्तूर है ज़माने का,
मगर आप जैसा कोई फिर लौटकर आए, ये कम ही होता है।


5.
ऑफिस की वो चाय और आपकी मुस्कान,
अब रह जाएगी बस यादों में जान।


6.
आपका योगदान शब्दों में नहीं समा सकता,
आपका जाना हर किसी को खल सकता।


7.
रिटायर हुए हैं आप, पर सम्मान हमेशा बना रहेगा,
आपका व्यक्तित्व कभी भुलाया नहीं जाएगा।


8.
हर सुबह की शुरुआत आपके साथ होती थी,
अब उस खाली कुर्सी से ख़ामोशी बात करती है।


9.
आज अलविदा कहते हैं भारी मन से,
पर दुआ करते हैं आप जिएं सुख-चैन से।


10.
ना कोई शिकवा, ना कोई गिला,
आपसे बिछड़ना बस थोड़ा मुश्किल सा लगा।


11.
“काम के हर मोर्चे पर आपका साथ रहा,
हर मुश्किल घड़ी में एक विश्वास रहा।
आज आप रिटायर हो रहे हैं, मगर यकीन मानिए,
आपका नाम हमारे दिलों में हमेशा कायम रहा।”


12.
“दफ़्तर की ये दीवारें आपकी याद दिलाएंगी,
आपकी मुस्कान को बहुत मिस करेंगी फाइलें पुरानी।
काम से किया आपने रिश्ता ऐसा,
जैसे पूजा हो कोई सच्ची और निभानी।”


13.
“हर दिन punctual, हर काम में perfection,
आपका dedication बना सबके लिए inspiration।
आज आप जा रहे हैं एक नई राह पर,
मगर आपकी legacy रहेगी हर एक दिशा पर।”


14.
“जिनके साथ काम करके सीख मिली,
जिनसे हर बात में एक सीख खिली।
आज वो जा रहे हैं आराम की ओर,
पर दिल कहता है—रुके थोड़ी और।”


15.
“बिदाई का यह लम्हा थोड़ा भारी है,
क्योंकि आप सिर्फ एक सहकर्मी नहीं—हमारी जिम्मेदारी थे, हमारी प्यारी यादें हैं।
आपका जाना हमें सिखा गया,
कि कुछ लोग सिर्फ ऑफिस नहीं, दिल भी छोड़ जाते हैं।”


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